गुलमोहर के पेड

गुलमोहर के पेड और तुम्हारी यादें
मिल जाते हैं कभी आस पास
हो जाता हूँ मैं उदास
एक धुंधला धुंधला सा चेहरा, कुछ आधी अधुरी बातें
ठीक से कुछ याद नहीं आता
और मैं सब भूल भी नहीं पाता
धूप में खडे ये पेड, अतीत में उलझी ये रातें
पहले से नहीं रहे अब
बदल बदल सा गया है सब
उड गयी है इन पेडों की रंगत, या मेरी ज़ज़्बातें
पीछे छूट गया हूँ कहीं
मेरे अंदर मैं तो नहीं
खुद से दौडता हुअ मैं, पीछे बुलाती कुछ बातें
गुलमोहर के पेड और तुम्हारी यादें

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